लेखनी - !! नदी किनारे !!
नदी किनारे बैठी सुषमा सोच रही थी आने वाली बरसात के बारे में।
हर साल तिनका तिनका जोड़कर वो घर बसाती है लेकिन हर साल बारिश के मौसम में नदी में आई बाढ़ अपने साथ उसका सब कुछ बहा ले जाती है। बच्चे अभी छोटे ही थे। उसका पति शराब के नशे में गांव में कहीं पड़ा रहता। वो बेचारी जैसे तैसे अपने बच्चों को पाल रही थी। हर साल सोचती थी कहीं और अपना घर बना लेगी, पर घर बसाना कहां इतना आसान है? बस इसी बात का सब्र है कि जमीन उसकी अपनी है, तो छत नसीब है। नही तो वो और उसके बच्चे कहां जाकर अपना सर छुपाते। बाकी सारे मौसम तो किसी तरह गुजर जाते हैं पर बारिश सब तहस नहस कर डालती है।
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नदी किनारे बैठी बैठी सुषमा की आंखों से आंसू बहने लगे। इस बार भी वो अपना घर बरसाती पानी के साथ बहते हुए देखेगी। अपने भगवान से और सामने बहती नदी से वो बार बार हाथ जोड़कर प्रार्थना कर रही थी कि काश इस बार कोई चमत्कार हो जाए और उसकी नियति बदल जाए।
तभी कुछ दूर नदी किनारे उसे कुछ लोगों की आवाज सुनाई दी। ध्यान से सुनने पर समझ आया कि सरकारी अधिकारी हैं। नदी और इसके आस पास के किनारे का मुआयना करने आए हैं। नदी पर बांध बनाने की तैयारी चल रही है जिससे की बारिश के पानी को इकट्ठा किया जा सके और उसका उपयोग बिजली बनाने में और पास वाले शहर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए किया जा सके।
बांध बनाने के लिए जो जमीन चाहिए वो सरकार खरीदेगी और जमीन के मालिकों को दूसरी जगह बसाएगी। जल्द से जल्द इस योजना को पूरा किया जाएगा जिसके कि आने वाले बारिश के मौसम में ज्यादा नुकसान ना हो पाए।
सुषमा ने ये बातें सुनी तो उसके दुख के आंसू खुशी के आंसुओं में बदल गए थे। बांध तो जब बनेगा तब बनेगा लेकिन उसे अपने परेशानी का हल जरूर मिल गया था। उम्मीद बढ़ चली थी कि हर साल की तरह इस बार उसका घर बारिश में नही बहेगा।
उसने मन ही मन अपने भगवान को और नदी को धन्यवाद किया। शायद उन्होंने उसके मन की बात सुन ली थी।
प्रियंका वर्मा
6/7/22
Shrishti pandey
07-Jul-2022 09:13 AM
Nice
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Abhinav ji
07-Jul-2022 08:17 AM
Nice
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Punam verma
07-Jul-2022 07:09 AM
Very nice
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